श्री राम जी की आरतियाँ | Shree Ram ji ki Aarti – Download FREE PDF

मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम जी बड़े दयालु और भक्त प्रतिपालक है। वह अपने भक्त की विनती बहुत जल्दी सुन लेते है। श्री राम जी की आराधना बहुत आसान है। कोई भी भक्त निर्मल मन से यदि प्रभु shree ram ji ki aarti करता है तो जल्द ही उसकी कामना पूर्ण होती है।

वैसे तो श्री राम हमेशा से ही भारत के कण कण में बसते है लेकिन जब से अयोध्या में वर्षों के संघर्ष के बाद श्री राम मंदिर का निर्माण हुआ और प्रभु श्री राम बाल रूप में विराजमान हुए देश में उत्साह का माहौल बन गया और एक सनातनी लहार पुरे भारत में बहने लगी। आज भी कुछ लोगो को राम जी की आरती और स्तुति का उतना ज्ञान नहीं है इसलिए हमारा प्रयास है की यहाँ सभी shri ram ji ki aarti lyrics दी जाये जिससे पाठक इसका लाभ उठा सकें।

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श्री राम जी की आरती | shree ram ji ki aarti

हे राजा राम तेरी आरती उतारूं
आरती उतारूँ तुझे तन मन वारूं,

कनक शिहांसन रजत जोड़ी,
दशरथ नंदन जनक किशोरी,
युगुल  छबि को सदा निहारूं,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूं……..

बाम भाग शोभति जग जननी,
चरण बिराजत है सुत अंजनी,
उन चरणों को सदा पखारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूं……..

आरती हनुमंत के मन भाये,
राम कथा नित शिव जी गाये,
राम कथा हृदय में उतारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ……..

चरणों से निकली गंगा प्यारी,
वंदन करती दुनिया सारी,
उन चरणों में शीश को धारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ……..

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आइये अब हम देखते है रामलला की आरती – Ram ji ki aarti lyrics

|| रामलला की आरती ||

आरती कीजे श्रीरामलला की ।
पूण निपुण धनुवेद कला की ॥

धनुष वान कर सोहत नीके ।
शोभा कोटि मदन मद फीके ॥

सुभग सिंहासन आप बिराजैं ।
वाम भाग वैदेही राजैं ॥

कर जोरे रिपुहन हनुमाना ।
भरत लखन सेवत बिधि नाना ॥

शिव अज नारद गुन गन गावैं ।
निगम नेति कह पार न पावैं ॥

नाम प्रभाव सकल जग जानैं ।
शेष महेश गनेस बखानैं ॥

भगत कामतरु पूरणकामा ।
दया क्षमा करुना गुन धामा ॥

सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा ।
राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ॥

खेल खेल महु सिंधु बधाये ।
लोक सकल अनुपम यश छाये ॥

दुर्गम गढ़ लंका पति मारे ।
सुर नर मुनि सबके भय टारे ॥

देवन थापि सुजस विस्तारे ।
कोटिक दीन मलीन उधारे ॥

कपि केवट खग निसचर केरे ।
करि करुना दुःख दोष निवेरे ॥

देत सदा दासन्ह को माना ।
जगतपूज भे कपि हनुमाना ॥

आरत दीन सदा सत्कारे ।
तिहुपुर होत राम जयकारे ॥

कौसल्यादि सकल महतारी ।
दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ॥

सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई ।
आरति करत बहुत सुख पाई ॥

धूप दीप चन्दन नैवेदा ।
मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ॥

राम लला की आरती गावै ।
राम कृपा अभिमत फल पावै ॥

|| Ramlala Aarti ||

Aarti kijiye Shri Ram Lala ki.
Poon nipun dhanurved kala ki.

Dhanush vaan kar sohat neeke.
Shobha koti madan mad feeke.

Subhag sinhasan aap birajein.
Vaam bhag Vaidehi rajein.

Kar jore ripuhan Hanumana.
Bharat Lakhna sevat vidhi nana.

Shiv aj Narad gun gan gaavein.
Nigam neti kah paar na paavein.

Naam prabhav sakal jag jaanein.
Shesh Mahesh Ganesh bakhanein.

Bhagat kamtaru pooran kama.
Daya kshama karuna gun dhaama.

Sugreevahun ko kapipati keenha.
Raj Vibhishan ko Prabhu deenha.

Khel khel mahu Sindhu badhaye.
Lok sakal anupam yash chhaye.

Durgam garh Lanka pati maare.
Sur nar muni sabke bhay taare.

Devan thapi sujas vistaare.
Kotik deen maleen udaare.

Kapi kevat khag nisachar kare.
Kari karuna dukh dosh nivere.

Det sada dasan ko maana.
Jagatpooj bhe kapil Hanumana.

Aarat deen sada satkaare.
Tihupur hot Ram Jayakare.

Kausalayaadi sakal mahataari.
Dasharath aadi bhagat Prabhu jhaari.

Sur nar muni Prabhu gun gan gaai.
Aarti karat bahu sukh paai.

Dhoop deep chandan naiveda.
Man dridh kari nahi kavan bheda.

Ram Lala ki aarti gaavai.
Ram kripa abhimat phal paavai


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श्री राम स्तुति


श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।

एक और अद्भुत राम आरती के लिए आप यहाँ VIDEO देख सकते है !

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