Om Jai jagdanandi | नर्मदा जी की आरती Narmada Ji ki Aarti

सनातन धर्म में पञ्च महाभूतों का बड़ा महत्व है। इसमें धरती माँ, आकाश, वायु, अग्नि और जल तत्व माने जाते है लेकिन इन सभी तत्वों को ईश्वर तुल्य माना गया है क्योकि इनके बिना जीवन असंभव सा प्रतीत होता है। इसलिए धरती को धरती माँ , आकाश को वरुण देवता, वायु को वायु देव, अग्नि को अग्नि देवी और जल को भी जल देवता और नदियों को देवी कहा गया है। हमारी आरतियों की शृंखला में प्रस्तुत है Narmada maa ji aarti.

इसलिए नर्मदा नदी को भी हम “माँ नर्मदा” या “नर्मदा मैया” या “देवी नर्मदा” ही बुलाते है। यह हमारा नदियों के प्रति सम्मान भी है और अपने धर्म की मान्यताओं में विश्वास भी।

नर्मदा जी की आरती (Maa Narmada Ji ki Aarti)

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नर्मदा आरती का महत्व और लाभ (Importance Of Narmada Aarti)

नर्मदा जी को भगवान शिव जी से ऐसा आशीर्वाद मिला हुआ है कि जो भी भक्त निर्मल मन से उनकी पूजा अर्चना करेगा व नर्मदा मैया के जल से स्नान करेगा, उसके द्वारा किये गए सारे पापो से वह मुक्त हो जाता है। यही नहीं नर्मदा मैया को सुख व आनंद देने वाली देवी भी कहा जाता है।

क्योकि नर्मदा मैया को कुवारी कन्या के रूप में भी पूजा जाता है जिसकी कथा काफी प्रचलित है, लोगों के मन में नर्मदा माँ की अलग ही छबि है। जो भी व्यक्ति नर्मदा माँ की आरती सच्चे मन से सुनता और पढ़ता है, उसे मन की अद्भुत शांति का अनुभव जरूर होता है।

भारत में सभी नदियाँ पश्चित से पूर्व की और बहती है जबकि श्री नर्मदा जी ही एक मात्र ऐसी नदी है जो पूर्व से पश्चिम की और बहती है। माँ नर्मदा का उद्गम स्थल भी मनमोहक और मन को शांति प्रदान करने वाला है , इसकी अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें। तो आइए आज हम पढ़ते है नर्मदा माँ की आरती (Narmada Aarti In Hindi)।

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श्री नर्मदा जी की आरती (Sri Narmada Ji Ki Aarti Lyrics)

ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनन्द कन्दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा,
शिव हरि शंकर रुद्री पालन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी……।

देवी नारद शारद तुम वरदायक,
अभिनव पदचण्डी।
सुर नर मुनि जन सेवत,
सुर नर मुनि शारद पदवन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी…….।

देवी धूमक वाहन,
राजत वीणा वादयन्ती।
झूमकत झूमकत झूमकत,
झननन झननन रमती राजन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी…….।

देवी बाजत ताल मृदंगा,
सुर मण्डल रमती।
तोड़ीतान तोड़ीतान तोड़ीतान,
तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी…….।

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देती सकल भुवन पर आप विराजत,
निश दिन आनन्दी।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा
शंकर तुम भव मेटन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी……।

मैया जी को कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती।
अमरकंठ में विराजत,
घाटनघाट कोटी रतन ज्योति॥
ॐ जय जय जगदानन्दी……।

मैया जी की आरती निशदिन पढ़ि गावें,
हो रेवा जुग-जुग नर गावें।
भजत शिवानन्द स्वामी जपत हरि,
मनवांछित फल पावें॥

ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनन्द कन्दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा,
शिव हरि शंकर रुद्री पालन्ती॥
ॐ जय जय जगदानन्दी।

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