व्यक्ति अपने जीवन में हमेशा विध्यार्ती बना रहता है और कुछ न कुछ सीखते रहना ही हमें सफल बनाता है. इसलिए विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजन हमें सफलता की और अग्रसर करती है। सरस्वती माता को विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है इसलिए विशेषकर विध्यार्तीयों के लिए और लेखन से जुड़े व्यक्तियों के लिए माँ सरस्वती की विशेष कृपा अनिवार्य है। नीचे Saraswati Mata ki aarti और कुछ विशेष मंत्र दिए गए है, जिसके नियमित पाठ से हमें माँ की कृपा प्राप्त होती है।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
सरस्वती माता ध्यान मंत्र | saraswati dhyan mantra
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से प्रतिवर्ष माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती का प्रगटोत्सव मनाया जाता है। इसलिए इस दिन विशेष रूप से माता की पूजन और वंदन करना चाहिए। आपकी सुविधा के लिए नीचे saraswati mata ki aarti lyrics दिए गए है।
माँ सरस्वती जी की आरती | Maa Saraswati Ki Aarti
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
सरस्वती माता से जुडी कुछ विशेष बातें | Facts about Saraswati Mata
माँ सरस्वती का कौन सा वार होता है ?
माँ सरस्वती का वार गुरूवार माना जाता है। क्योकि गुरुवार हमारे गुरु को समर्पित होता है और सरस्वती माता विद्या की देवी है, और किसी भी प्रकार की विद्या गुरु ही देतें है।
सरस्वती माता का मंत्र ?
‘या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥‘
इसका अर्थ है की हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, मैं आपको नमस्कार करता हूँ। मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूँ , मुझे इस कार्य में सफलता मिले ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें।
माता सरस्वती का व्रत कब रखना चाहिए ?
वैसे तो हर गुरुवार के दिन सरस्वती माता के लिए व्रत रख सकते है किन्तु विशेषकर हर वर्ष बसंत पंचमी के दिन व्रत अवश्य रखना चाहिए। व्रत के नियम जान कर ही व्रत करें।
देवी सरस्वती जुबान पर कब आती है ?
ऐसा कहा जाता है की सुबह 3 बज कर 20 मिनिट से लेकर 3 बज कर 40 मिनिट का जो शुभ समय होता है इस समय माँ सरस्वती जिव्वा (जुबान) पर बैठी होती है, इसका मतलब है की इस समय कही गई कोई भी बात सच होने की संभावना अधिक होती है।
क्या सरस्वती पूजन के दिन पढाई नहीं करनी चाहिए ?
ऐसा कुछ नहीं है। यह तथ्य अधूरा है, असल में सरस्वती पूजन के दिन किताबों की भी पूजा की जाती है इसलिए सिर्फ पूजन के लिए पढाई नहीं की जा सकती लेकिन उसके बाद पढाई करना शुभ है। छोटे बच्चों को अगर पहली बार कुछ बढ़ाना होता है तो सरस्वती पूजन का दिन सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
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