तुलसी आरती | Tulsi Aarti

भारत के हर हिन्दू आँगन में माँ तुलसी जी का महत्व देखा ही जा सकता है। तुलसी जी की अलग पूजन विधि और आरती होती है। कार्तिक माह में तुलसी विवाह के साथ साथ Tulsi Aarti का सबसे अधिक महत्त्व है।

Tulsi Aarti

तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

धन तुलसी पूरण तप कीनो,
शालिग्राम बनी पटरानी ।
जाके पत्र मंजरी कोमल,
श्रीपति कमल चरण लपटानी ॥

तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

धूप-दीप-नवैद्य आरती,
पुष्पन की वर्षा बरसानी ।
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
बिन तुलसी हरि एक ना मानी ॥

तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

सभी सखी मैया तेरो यश गावें,
भक्तिदान दीजै महारानी ।
नमो-नमो तुलसी महारानी,
तुलसी महारानी नमो-नमो ॥

तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

tulsi aarti

तुलसी विवाह: महत्व, विधि और परंपरा

तुलसी विवाह एक पवित्र हिंदू परंपरा है, जिसमें माता तुलसी (पवित्र तुलसी पौधा) और भगवान विष्णु के अवतार श्री शालिग्राम का विवाह संपन्न कराया जाता है। यह विवाह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं, को मनाया जाता है। यह अनुष्ठान विवाह उत्सव का प्रतीक है और इसे धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है। Tulsi Vivah की संपूर्ण जानकारी यहाँ पढ़ें।

तुलसी विवाह का महत्व

  1. पुण्य का अवसर: तुलसी विवाह को करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
  2. वैवाहिक सुख: जो लोग अपने वैवाहिक जीवन में सुख चाहते हैं या जिनके विवाह में विलंब हो रहा है, उनके लिए यह अनुष्ठान अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
  3. पापों का नाश: तुलसी विवाह करने से जीवन के पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Related Post

Leave a Comment

error: Content is protected !!