हिंदू धर्म में संतोषी मां का बड़ा महत्व है। संतोषी माता को गणेश जी की पुत्री माना गया है। संतोषी मां सुख और समृद्धि देती हैं। और जैसा कि उनके नाम से प्रतीत होता है कि यह संतोष देने वाली मां है। यह आपके मन की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं जिससे आपको सुख और संतोष की प्राप्ति होती है।
संतोषी माता का व्रत शुक्रवार के दिन किया जाता है और उसकी बड़ी महिमा है। सच्चे मन से किया गया शुक्रवार का व्रत मां को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जिसमें के निराहार रहकर या फलाहार करके एक समय भोजन दिया जाता है। अगर अविवाहित कन्या 16 शुक्रवार तक व्रत रखती हैं तो ऐसी मान्यता है कि उनका विवाह शीघ्र ही अपने मन चाहे वर से हो जाता है।
संतोषी माता बड़े सरल और कोमल स्वाभाव की है इसलिए बहुत शीघ्र ही अपनी भक्ति से प्रसन्न हो जाती है। जो भक्त शुक्रवार का व्रत रख कर उस दिन पूजन अर्चन के बाद माता जी की चालीसा का पाठ करता है उसे अत्यंत सुखदाई फल प्राप्त होते है। संतोषी माता की चालीसा Santoshi Mata Chalisa का पाठ करना उत्तम होता इसलिए यहां संतोषी माता की चालीसा दी गई है। इसके नियमित पाठ से आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान रखें कि जब भी आप संतोषी माता की चालीसा का पाठ करें तो बहुत स्वच्छता बनाए रखें। अपने पूजन के स्थान की अच्छे से सफाई करके स्नान करने के पश्चात ही संतोषी माता की चालीसा Santoshi Mata Chalisa का पाठ किया जाना चाहिए।
॥ दोहा ॥
बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार ।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार ॥
भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम ।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ॥

संतोषी माता चालीसा | Santoshi Mata Chalisa
॥ चौपाई ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम ।
शान्ति दायिनी रूप मनोरम ॥
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा ।
वेश मनोहर ललित अनुपा ॥
श्वेताम्बर रूप मनहारी ।
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी ॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन ।
दर्शन से हो संकट मोचन ॥ 4 ॥
जय गणेश की सुता भवानी ।
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी ॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया ।
सब पर करो कृपा की छाया ॥
नाम अनेक तुम्हारे माता ।
अखिल विश्व है तुमको ध्याता ॥
तुमने रूप अनेकों धारे ।
को कहि सके चरित्र तुम्हारे ॥ 8 ॥
धाम अनेक कहाँ तक कहिये ।
सुमिरन तब करके सुख लहिये ॥
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी ।
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी ॥
कलकत्ते में तू ही काली ।
दुष्ट नाशिनी महाकराली ॥
सम्बल पुर बहुचरा कहाती ।
भक्तजनों का दुःख मिटाती ॥ 12 ॥
ज्वाला जी में ज्वाला देवी ।
पूजत नित्य भक्त जन सेवी ॥
नगर बम्बई की महारानी ।
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी ॥
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो ।
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो ॥
राजनगर में तुम जगदम्बे ।
बनी भद्रकाली तुम अम्बे ॥ 16 ॥
पावागढ़ में दुर्गा माता ।
अखिल विश्व तेरा यश गाता ॥
काशी पुराधीश्वरी माता ।
अन्नपूर्णा नाम सुहाता ॥
सर्वानन्द करो कल्याणी ।
तुम्हीं शारदा अमृत वाणी ॥
तुम्हरी महिमा जल में थल में ।
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में ॥ 20 ॥
जेते ऋषि और मुनीशा ।
नारद देव और देवेशा ।
इस जगती के नर और नारी ।
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी ॥
जापर कृपा तुम्हारी होती ।
वह पाता भक्ति का मोती ॥
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता ।
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता ॥ 24 ॥
जो जन तुम्हरी महिमा गावै ।
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै ॥
जो मन राखे शुद्ध भावना ।
ताकी पूरण करो कामना ॥
कुमति निवारि सुमति की दात्री ।
जयति जयति माता जगधात्री ॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन ।
जो व्रत करे तुम्हारा पावन ॥ 28 ॥
गुड़ छोले का भोग लगावै ।
कथा तुम्हारी सुने सुनावै ॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी ।
फिर प्रसाद पावे शुभकारी ॥
शक्ति-सामरथ हो जो धनको ।
दान-दक्षिणा दे विप्रन को ॥
वे जगती के नर औ नारी ।
मनवांछित फल पावें भारी ॥ 32 ॥
जो जन शरण तुम्हारी जावे ।
सो निश्चय भव से तर जावे ॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे ।
निश्चय मनवांछित वर पावै ॥
सधवा पूजा करे तुम्हारी ।
अमर सुहागिन हो वह नारी ॥
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा ।
भवसागर से उतरे पारा ॥ 36 ॥
जयति जयति जय संकट हरणी ।
विघ्न विनाशन मंगल करनी ॥
हम पर संकट है अति भारी ।
वेगि खबर लो मात हमारी ॥
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता ।
देह भक्ति वर हम को माता ॥
यह चालीसा जो नित गावे ।
सो भवसागर से तर जावे ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास ।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास ॥
॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥
Santoshi Mata Chalisa PDF Download
संतोषी माता की चालीसा सभी को याद नहीं रहती और यह काफी लंबी भी होती है इसलिए यहां पीएफ के रूप में संतोषी माता की चालीसा दी गई है, जिसे आप अपने मोबाइल पर या लैपटॉप पर डाउनलोड (PDF Download) कर सकते हैं और जब चाहे तब इसे खोलकर आप इसका पाठ कर सकते हैं। अगर यह आपको उपयोगी लगे तो अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें।
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions
संतोषी माता के व्रत में क्या खाया जाता है ?
माता जी के व्रत के लिए खट्टी चीज़े नहीं खानी चाहिए। इस दिन दूध, फल, या हलवा बना कर भी खा सकते है। इस व्रत में गुड़ – चने का सेवन भी व्रत में किया जा सकता है।
संतोषी माता जी को कौन सा पुष्प चढ़ाना चाहिए ?
माता जी को कमल पुष्प आती प्रिय है।
संतोषी माता का व्रत कब किया करना चाहिए ?
माता जी का व्रत 16 शुक्रवार का व्रत होता है। इसे शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से प्रारंभ करना सबसे श्रेष्ठ मानते है।
संतोषी माता की पूजा कैसे करें ?
सुबह जल्दी ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर घर की सफाई करें, फिर नित्य कर्म कर के स्नान कर के पूजन इस्थल पर भी सफाई कर पोछा कर के पूजन करें। पूजा में कमल का फूल, गुड़, चना,अक्षत, फल, दूर्वा, नारियल तथा कोई सा भी एक फल माता को अर्पित करें. श्रद्धा पूर्वक पूजन कर आरती करें। और अपनी मनोकामना माता के चरणों में व्यक्त करें।
संतोषी माता का मंत्र क्या है ?
जय माँ संतोषिये देवी नमो नमः
श्री संतोषी देव्व्ये नमः
ॐ श्री गजोदेवोपुत्रिया नमः
ॐ सर्वनिवार्नाये देविभुता नमः
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