सावन मास में शिव जी की भक्ति का बहुत अधिक महत्व है। शिवजी की स्तुति के लिए शिव चालीसा का पाठ करने का बहुत महत्व बताया गया है। Shiv Chalisa Lyrics PDF सरल भाषा में यहां पर दी गई है जिसके माध्यम से बहुत ही आसानी से शिव भगवान की आराधना करके उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।
भक्तगण अपने जीवन के संकटों और बाधाओं को दूर करने के लिए शिव चालीसा का नियमित पाठ करते हैं। इससे भक्त को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और उसके संकटों का नाश होता है व महादेव जी की कृपा प्राप्त होती है। शिव चालीसा का पाठ सुबह स्नान आदि और पूजन पाठ करने के बाद किया जा सकता है या फिर संभव हो तो शाम के समय शिव जी को दिया लगाकर भी यह पाठ किया जा सकता है। विशेषकर सोमवार के दिन शिव चालीसा का पाठ अधिक लाभदायक होता है। सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत या त्रयोदशी व्रत के पवित्र समय में शिव चालीस का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
शिव चालीसा | Shiv Chalisa Lyrics Hindi
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
शिव चालीसा का महत्व:
- भगवान शिव की कृपा प्राप्ति: शिव चालीसा का पाठ भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी साधन है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से शिवभक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- संकटों का नाश: शिव चालीसा का पाठ जीवन में आने वाले सभी संकटों और समस्याओं को दूर करता है। यह मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक कष्टों को कम करने में सहायक होता है।
- भक्ति और श्रद्धा: शिव चालीसा भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करने का एक सशक्त माध्यम है। इससे भक्तों का भगवान शिव के प्रति समर्पण और बढ़ता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: शिव चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है और व्यक्ति को जीवन के गहरे अर्थ की ओर ले जाता है।
- शांति और समृद्धि: शिव चालीसा का पाठ घर और परिवार में शांति और समृद्धि लाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
शिव चालीसा पाठ करते समय सावधानियां
- शुद्धता और स्वच्छता: शिव चालीसा का पाठ करते समय शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। पाठ से पहले स्नान कर लेना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
- भक्ति और एकाग्रता: शिव चालीसा का पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए। इसे पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ करना चाहिए ताकि भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सके।
- सही उच्चारण: पाठ के दौरान श्लोकों का सही उच्चारण करना आवश्यक है। गलत उच्चारण से अर्थ का अनर्थ हो सकता है, जिससे पाठ का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
- सत्यनिष्ठा और पवित्रता: शिव चालीसा का पाठ करते समय सत्यनिष्ठा और पवित्रता का पालन करना चाहिए। मन में बुरे विचार या अशुद्धता नहीं होनी चाहिए।
- नियमितता: शिव चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। नियमित पाठ से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और जीवन में स्थायी शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- सामग्री का ध्यान: शिव चालीसा के पाठ के दौरान पूजा सामग्री का ध्यान रखें। धूप, दीप, नैवेद्य, और पुष्प का प्रयोग कर सकते हैं, जिससे पूजा अधिक प्रभावी होती है।
- सकारात्मक मानसिकता: पाठ के दौरान सकारात्मक मानसिकता बनाए रखें। नकारात्मक विचारों से दूर रहें और भगवान शिव के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ पाठ करें।
शिव चालीसा का पाठ यदि उपरोक्त सावधानियों के साथ किया जाए, तो यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में अत्यंत प्रभावी होता है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाता है।