अक्षय तृतीया 2024 – शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्त्व व अनुष्ठान | Akshaya Tritiya 2024 – Shubh Muhurat Puja Vidhi Aur Mahatva

इस दिन विष्णु भगवान, लक्ष्मी जी, गणेश भगवान और कुबेर जी इनकी इनकी पूजा करने का विधान है। गणेश जी तो सर्वप्रथम पूजे जाते हैं इसलिए कोई भी पूजन उनके बिना अधूरी मानी जाती है। इसलिए सर्वप्रथम श्री गणेश जी की मूर्ति या उनके फोटो को स्थापित करके उनका पूजन करना चाहिए इसके पश्चात विष्णु लक्ष्मी जी की कोई मूर्ति या फोटो जो भी उपलब्ध हो उसे सामने रखकर स्नान कर कर पूरी श्रद्धा के साथ उन्हें कंकू, चावल, हल्दी, चंदन, लाल गुलाब या कमल का पुष्प अर्पित करके उनकी पूजन अर्चन करना चाहिए। इसके पश्चात उन्हें अपने हाथों से बनाया हुआ भोग जरूर लगाना चाहिए। भोग के रूप में चावल की खीर और दूध मिठाई उत्तम है।

अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त 2024

2024 में अक्षय तृतीया 10 मई को आ रही है। अक्षय तृतीया वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन मनाई जाती है। तृतीया के इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः (सुबह) 5.33 बजे से लेकर दोपहर में 12.18 बजे तक रहेगा। ध्यान रहे की तृतीया तिथि 10 मई को सुबह 4.17 बजे से प्रारंभ होगी और 11 मई याने अगले दिन सुबह 2.50 बजे समाप्त हो जाएगी ।
इस विशेष दिन सोना खरीदने का बड़ा महत्त्व है। सोना खरीदने के लिए कोई विशेष मुहूर्त नहीं है व पुरे दिन तृतीया तिथि के समापन तक कभी भी खरीदारी की जा सकती है।

10 मई 2024 | अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया का महत्त्व

अक्षय तृतीया जिसे आखा तीज के नाम से भी पुकारते है हिन्दुओं का विशेष त्यौहार माना जाता है। यह विशेष पर्व वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। इस पर्व को सफलता और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इसलिए इस दिन सोने की खरीदारी का बड़ा महत्त्व है। ‘अक्षय‘ का अर्थ होता है ‘कभी कम न होना’, इसलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में खरीदारी करने से समृद्धि बढ़ती है।

आज के विशेष दिन सर्वार्थ सिद्धि योग होता है इसका मतलब होता है कि आज के दिन सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। अगर प्रेम पूर्वक पूजा की जाए तो आज के दिन जो भी भक्त अच्छे मन से मां लक्ष्मी और कुबेर भगवान को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ करते हैं उनके जीवन में सुख समृद्धि आती है और सारे संकटों का नाश हो जाता है।

दान का महत्त्व | क्या दान करें

इस दिन दान करने से हमारे पापों का नाश होता है और पुण्य फल प्राप्त होते है। दान करने के लिए भी उचित समय और उचित वास्तु का बड़ा महत्त्व होता है। अक्षय तृतीया के लिए किये गए दान का बहुत विशेष महत्त्व होता है व् यह अतंयत शुभ फलदाई होता है। इसलिए इस दिन यथा शक्ति दान अवश्य करना चाहिए। इस दिन फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, गौ, भूमि, जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, चावल, नमक, घी, खरबूजा, चीनी, साग, आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है।

पूजन सामग्री

आज के दिन पूजन में उपयोग होने वाली सामग्री यहाँ बताई गई है। हमेशा पूजा पर बैठने से पहले ही सभी सामग्री एक स्थान पर एकत्र कर लेना चाहिए इससे पूजन के मध्य व्यवधान नहीं होता और मन भी विचलित नहीं होता है। सामग्री: एक चौकी, लाल या पीले रंग का वस्त्र (यानी कपड़ा), हल्दी, कुमकुम, रोली, कमलगट्टा, कमल का पुष्प या गुलाब का पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, माला, चंदन, पान का पत्ता, जौ, इलायची, सुपारी, कौड़ी, शंख, बताशा, मखाने की खीर, दूध की मिठाई, इत्र इत्यादि।

Akshaya Tritiya 2024 pujan vidhi

अक्षय तृतीया पूजन विधि

अब हम जानते हैं की पूजा कैसे करनी है। सर्वप्रथम गंगाजल से अपने पूजन स्थान पर छींटे मारकर उसे पवित्र कर लीजिये। फिर वहां पर एक चौकी (लकड़ी का पाट) रखकर उसे गीले कपड़े से साफ कर लीजिए। उस चौकी के ऊपर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछा दीजिए। इसके ऊपर लक्ष्मी जी कुबेर जी और संभव हो तो लक्ष्मी जी के साथ में विष्णु जी की मूर्ति या फोटो हो तो वह स्थापित कर लीजिए। इनके समक्ष जौ या सोना या चांदी के किसी आभूषण को भी रख दीजिए। पान के पत्ते पर एक सुपारी को रक्षा-सूत्र लपेटकर एक सिक्के के ऊपर उसे भी स्थापित कर दीजिए, इन्हे गणेश की का रूप माना जाता है और सर्वप्रथम इसी की पूजा होती है। अब आप सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा कीजिए जिसमें के गणेश जी को चंदन, सिंदूर, हल्दी, अक्षत, दूर्वा, यह सारी चीज चढ़कर फिर पुष्प अर्पित करके मोदक का भोग लगा दीजिए। इसके पश्चात विष्णु-लक्ष्मी जी या सिर्फ लक्ष्मी जी की पूजा कीजिए। इसमें लक्ष्मी मैया को कुमकुम, हल्दी, अक्षत के साथ कमल या लाल गुलाब का पुष्प जरुर चढ़ाएं। इसके बाद माता जी को भोग के लिए हो सके तो “मखाने की खीर” चढ़ाना चाहिए या फिर दूध की बनी हुई कोई मिठाई। इसके पश्चात कुबेर जी को चंदन, अक्षय, दूर्वा, कमलगट्टा, सुपारी, इलायची, लौंग, धनिया, पिला या लाल फूल अर्पित करके उचित नैवेद्य लगाना चाहिए। कुबेर जी को “धनिया की पंजीरी” या चावल की खीर का भोग अति प्रिय है।

shri laxmi kuber ji photo

इसके बाद लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए श्रीसूक्त पाठ या कनकधारा स्तोत्र का पाठ कर सकते है। संभव हो तो कुबेर चालीसा का पाठ भी उत्तम फल दाई है। गणेश चालीसा पढ़ें. उसके बाद चाहें तो धन प्राप्ति कुबेर मंत्र या महालक्ष्मी मंत्र का जाप कमलगट्टे की माला से कर सकते हैं.

महालक्ष्मी मंत्र
ओम श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा

धन प्राप्ति कुबेर मंत्र
ओम श्रीं ओम ह्रीं श्रीं ओम ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:

इसके पश्चात गणेश जी की आरती, लक्ष्मी जी की आरती और कुबेर जी की आरती जरूर पढ़ें। अंत में तीनों से सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगे और जाने अनजाने में हुए अपराधों के लिए क्षमा मांगे। जो भी भक्त सच्चे मन से क्षमा मांगते हैं, दया निधान ईश्वर हमेशा उन्हें क्षमा कर के अपनी कृपा करते है।

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