भारतीय हिंदू धार्मिक परम्परा में मकर संक्रांति makar sankranti का विशेष महत्व होता है, क्योंकि, धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण में आते हैं, यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 के दिन रविवार को मनाई जाएगी ।
देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है। सनातन धर्म में makar sakranti के त्योहार को देश के अलग-अलग भागों में विभिन्न नामों के साथ मनाया जाता है। दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाड़ू में makar sankranti को पोंगल (Pongal ), गुजरात में उत्तरायण, पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड में खिचड़ी, असम में बिहू और राजस्थान में मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। तमिलनाड़ू में पोंगल का त्योहार राज्य का प्रमुख त्योहार माना जाता है। पोंगल का त्योहार दीपावली के तरह ही खास और चार दिनों तक मनाया जाता है। पोंगल के त्योहार की तैयारियां बहुत दिनों पहले से ही की जाती है। यहां पर पोंगल के पहले घरों की साफ-सफाई और सजावट होती है। नई फसलों को सूर्यदेव और इंद्रदेव को समर्पित करना, खेती-किसानी में काम आने वाले गाय बैलों और औजारों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इसके बाद सभी लोग आपस में मिलकर ईश्वर के प्रति व प्रकृति के प्रति अपने धन्यवाद का भाव व्यक्त करते है और एक-दूसरे से मिलकर पोंगल की शुभकामनाएं देते-लेते हैं।
वही मध्य प्रदेश में इस दिन पूजन तो होती ही है लेकिन विशेष तौर पर पतंबाज़ी का चलन है। यहाँ हर कोई , बड़ा या छोटा, आमिर या गरीब सभी मिलकर पतंग उड़ाते है और अपने परिवार व मित्रों के साथ बड़े उत्साह से makar sankranti का त्यौहार मानते है।
मकर संक्रांति का महत्व – Importance of Makar Sankranti
Makar Sankranti का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व दोनों है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी सूर्य देवता एक राशि में रहने के बाद दूसरी राशि में प्रवेश करते है तो उसे संक्रमण काल या “संक्रांति” कहा जाता है। जनवरी के माह में सूर्य “मकर” राशि में प्रवेश करते है इसलिए इस विशेष पर्व को “मकर संक्रांति” (makar sankranti) के नाम से जाना जाता है।
वैज्ञानिक महत्व को समझे तो हम पाएंगे की मकर संक्रांति के दिन तिल या तिल की मिठाई का महत्व क्यों है। दिसम्बर के माह से ठण्ड बढ़ने के साथ ही दिन छोटे हो जाते है और रातें लम्बी हो जाती है। लेकिन मकर संक्रांति के दिन से दिन बड़े होने लगते है और रातें छोटी होने लगती है। ऐसा माना जाता है की हर दिन तिल के दाने के समान थोड़ा थोड़ा बढ़ने लगता है और रातें कम होने लगती है।
पोंगल का महत्व – Importance of Pongal
पोंगल तमिलनाडु का एक खास त्योहार होता है। पोंगल का त्योहार मूल रूप से कृषि से संबंधित पर्व होता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार जब सूर्य 14 या 15 जनवरी को धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब यह तमिल नववर्ष की पहली तारीख होती है। चार दिनों तक चलने वाले पोंगल उत्सव में दूसरा दिन खास होता है। जिसे थाई पोंगल कहते हैं। इसमें नई फसलों का भोजन पकाकर सूर्यदेव को लगाया जाता है।
पोंगल पहला दिन:- भोगी पंडिगाई | First day of Pongal
पोंगल के पहले दिन को भोगी पंडिगाई कहते हैं। इस दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है और जो चीजें पुरानी या टूटी-फूटी होती है उसे बाहर कर दिया जाता है। फिर इसके बाद घरों सजाया जाता है। आंगन और घर के मुख्य द्वार पर सुंदर रंगोली बनाई जाती है। इस दिन रात के समय घर के सभी सदस्य अलाव जलाकर एकत्रित होते हैं और रातभर भोगी कोट्टम बजाते हैं जो एक तरह का ढोल होता है। इसमें भगवान का आभार व्यक्त किया जाता है।
पोंगल दूसरा दिन:- थाई पोंगल | Second day of Pongal
पोंगल का दूसराव दिन ही सबसे खास माना जाता है। इस दिन मिट्टी के नए बर्तन में नई फसल से पैदा होने वाले चावल को दूध, गुड़ और मेवे के साथ मिलाकर खीर तैयार करते हैं। फिर इसे सूर्य भगवान को भोग के रूप में अर्पण किया जाता है। जिसे बाद में प्रसाद के रूप में खाया जाता है।
पोंगल तीसरा दिन:- मट्टू पोंगल | Third day of Pongal
पोंगल के तीसरे दिन खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले गाय और बैलों को स्नान कराकर सजाया और संवारा जाता है। रंग बिरंगे फूल और मालाओं से बैलों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है। तमिल मान्यताओं के मुताबिक मट्टू भगवान शिव की सवारी है।
पोंगल चौथा दिन:- कानुम पोंगल | Forth day of Pongal
कानुम पोंगल का आखिरी दिन होता है। इस दिन पर घर को आम और नारियल के पत्तों से घर पर तोरण बनाया जाता है। महिलाएं रंगोली बनाती हैं और नए-नए कपड़े पहनकर एक दूसरे को पोंगल की शुभकामनाएं देती हैं।
पोंगल के शुभकामना संदेश | Pongal Wishes
गुड़ तिल के लड्डू और हाथों में पतंग
खुशी और उल्लास के साथ मनाएं पोंगल।
पोंगल के मटके में चावल के जैसे
भगवान आपके दिल में भर दें प्यार।
पोंगल के पर्व पर आओ प्रकृति से मिले
मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त 2023
मकर संक्रांति 2023 तिथि : 15 जनवरी, 2023 (रविवार)
पुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 12:30:00 तक
अवधि : 5 घंटे 14 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 09:15:13 तक
अवधि : 2 घंटे 0 मिनट
संक्रांति पल : 14 जनवरी को 20:21:45
मकर संक्रांति पूजा विधि | Makar Sankranti Puja Vidhi
मकर संक्रांति के दिन प्रातः काल शुभ मुहूर्त में स्नान आदि कर लें, यदि स्नान करने वाले पानी में काले तिल, थोड़ा सा गुड़ और गंगाजल मिला लें तो उत्तम रहेगा, स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर तांबे के लौटे में जल लें, इसमें काले तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत् मिला कर सूर्य को अर्पित करते हुए अर्क दें, अर्क देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें
मकर संक्रांति पूजा मंत्र
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस दिन सूर्य देव के मंत्र का जाप किया जाता है.
सूर्य देव के मंत्र: ॐ सूर्याय नम:,
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन इनमें से किसी एक मंत्र के जाप से भक्तों में तेज और ओज की वृद्धि होती है, उन पर भगवान सूर्य की कृपा होती है और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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