अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में।।
मेरा निश्चय बस एक यही, एक बार तुम्हें पा जाऊं मैं।
अर्पण कर दूं दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में।।
जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ, जो जल में कमल का फूल रहे,
मेरे सब गुण दोष समर्पित हों, करतार तुम्हारे हाथों में। ……….. / भगवान तुम्हारे हाथों में।।
यदि मानव का मुझे जन्म मिले, तो तव चरणों का पुजारी बनूँ ।
इस पूजक की एक-एक रंग का, हो तार तुम्हारे हाथों में।।
जब-जब संसार का कैदी बनूँ, निष्काम भाव से कर्म करूँ।
फिर अंत समय में प्राण तजूँ , निराकार तुम्हारे हाथों में।। …… / साकार तुम्हारे हाथों में।।
मुझमें तुझमें बस भेद यही, मैं नर हूँ तुम नारायण हो।
मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में।।
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में।
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