श्री नर्मदाष्टकम – मंत्र का मूल स्वरुप | Narmada Ashtak Lyrics (Original Version) – Download Free PDF

मध्य प्रदेश राज्य में नर्मदा नदी को माता के रूप में पूजा जाता है। इसे मां नर्मदा के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां नर्मदा का उद्गम अमरकंटक में है जो की मैकल पर्वतमाला पर स्थित है। यह नदी महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश से होकर अंत में समुद्र में मिलती है। आज हम जानेगे Narmada Ashtak Lyrics का मूल स्वरुप।

नर्मदा नदी के जल को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। नर्मदा जी के गुण, महत्व और उनकी शक्तियों का विवरण इस नर्मदा अष्टक में किया गया है। हम नर्मदा अष्टक के माध्यम से जीवनदायिनी मां नर्मदा की पूजा करते हैं। उनके उद्देश्य, पुण्य कर्म और उनकी उत्पत्ति का विवरण हमें उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का मार्ग दिखाते हैं। नर्मदा अष्टक का लिखना और यह लाखों लोगों के बीच प्रसिद्ध होना, उनकी श्रद्धा को संकेत करता है। आजकल इन तीन राज्यों के लाखों लोग नर्मदा को केवल एक नदी नहीं, बल्कि मां के समान पूजते हैं।

Narmada Ashtak Lyrics

॥ श्री नर्मदा अष्टकम ॥ Narmada Ashtak Lyrics

सबिन्दुसिन्धुसुस्खलत्तरङ्गभङ्गरञ्जितं
द्विषत्सु पापजातजातकारिवारिसंयुतम् ।
कृतान्तदूतकालभूतभीतिहारिवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥1॥

त्वदम्बुलीनदीनमीनदिव्यसम्प्रदायकं
कलौ मलौघभारहारि सर्वतीर्थनायकम् ।
सुमच्छकच्छनक्रचक्रचक्रवाकशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥2॥

महागभीरनीरपूरपापधूतभूतलं
ध्वनत्समस्तपातकारिदारितापदाचलम् ।
जगल्लये महाभये मृकण्डसूनुहर्म्यदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥3॥

गतं तदैव मे भवं त्वदम्बुवीक्षितं यदा
मृकण्डसूनुशौनकासुरारिसेवि सर्वदा ।
पुनर्भवाब्धिजन्मजं भवाब्धिदुःखवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥4॥

अलक्षलक्षकिन्नरामरासुरादिपूजितं
सुलक्षनीरतीरधीरपक्षिलक्षकूजितम् ।
वसिष्ठसिष्टपिप्पलादिकर्दमादिशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥5॥

सनत्कुमारनाचिकेतकश्यपादिषट्पदैः
धृतं स्वकीयमानसेषु नारदादिषट्पदैः ।
रवीन्दुरन्तिदेवदेवराजकर्मशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥6॥

अलक्षलक्षलक्षपापलक्षसारसायुधं
ततस्तु जीवजन्तुतन्तुभुक्तिमुक्तिदायकम् ।
विरञ्चिविष्णुशङ्करस्वकीयधामवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥7॥

अहोऽमृतं स्वनं श्रुतं महेशकेशजातटे
किरातसूतवाडवेषु पण्डिते शठे नटे ।
दुरन्तपापतापहारिसर्वजन्तुशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे ॥8॥

इदं तु नर्मदाष्टकं त्रिकालमेव ये सदा
पठन्ति ते निरन्तरं न यान्ति दुर्गतिं कदा ।
सुलभ्य देहदुर्लभं महेशधामगौरवं
पुनर्भवा नरा न वै विलोकयन्ति रैरवम् ॥9॥


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अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions

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माँ नर्मदा से संबंधित रोचक प्रश्न जिनकी जानकारी आपको होना चाहिए :

प्रश्न: ‘नमामि देवी नर्मदे’ के रूप में नर्मदाष्टक क्यों विख्यात है ?

उत्तर: ‘नमामि देवी नर्मदे’ का अर्थ है : ‘हे माँ नर्मदा आप तो सभी की माँ है व पूजनीय देवी समान हैं। इस कारन मैं आपको प्रणाम करता हूँ।

प्रश्न: नर्मदा नदी के पिता कौन माने जाते है ?

उत्तर: मैकल पर्वत को ही नर्मदा नदी के पिता के रूप में देखा जाता है। क्योकि अमरकंटक से ही माँ नर्मदा निकलती है।

प्रश्न: नर्मदा जी के पत्थरों को शिवलिंग क्यों कहते है?

उत्तर: नर्मदा जी को यह वरदान प्रभु भगवान शिव ने ही दिया था की उसके तट पर या नदी में जो भी पत्थर नर्मदा जी के जल को छू लेंगे वह सिर्फ पाषाण नहीं रह जायेगे बल्कि शिवलिंग का महत्व प्राप्त कर लेंगे।

प्रश्न: क्या यह सच है की नर्मदा जी उल्टी बहती है?

उत्तर: जी हां यह सच है क्योकि सिर्फ नर्मदा जी ही एक नदी है जो पूर्व से पश्चिम की दिशा में बहती है। भारत में सभी नदियाँ पूर्व की ओर बहती है (पश्चिम से चलते हुए ) । यह परिवर्तन रिफ्ट वैली नामक एक भौगोलिक घटना के चलते होता है।

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