सोमवार के दिन किसकी पूजा करें ?
सोमवार को हिन्दू परंपरा में बहुत महत्व दिया गया है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। शिव, हिन्दू धर्म के एक महान देवता हैं और उन्हें त्रिदेवों में एक माना जाता है।
सोमवार के दिन शिव की पूजा करने से उनकी कृपा मिलती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन कांचनी व्रत और सोमवार व्रत भी बड़े श्रद्धा और भक्ति से किया जाता है।
सोमवार की पूजा के दौरान भगवान शिव की मूर्ति, शिवलिंग या फिर शिवजी का चित्र आदि का पूजन किया जाता है। भगवान शिव के लिए गंगा जल, धातूओं के तिलक, बेलपत्र, धातू की माला, धूप, दीप, चादर, पुष्प आदि का अर्पण किया जाता है।
सोमवार के दिन भक्त शिवजी के नाम से भजन गाते हैं, मंत्र जाप करते हैं और उनकी चालीसा पढ़ते हैं। इस दिन को विशेषत: श्रद्धा और भक्ति के साथ बिताना चाहिए, ताकि भगवान शिव की कृपा हमें सदैव प्राप्त हो।
इस रूप में, सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करना हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है जो श्रद्धालुओं को उनके आदर्श और उनकी कृपा के प्रति आदर्श बनाए रखती है।
सोमवार का व्रत कैसे करें
सोमवार का व्रत हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे भगवान शिव की भक्ति में समर्पित किया जाता है। यह व्रत प्रति सप्ताह के सोमवार को किया जाता है।
सोमवार के व्रत में व्रती को सवेरे उठकर नहाना और शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर गंगाजल और धातू के तिलक का अर्पण किया जाता है।
फिर व्रती को सोमवार के दिन अक्षत, बेलपत्र, धातू की माला, धूप, दीप, फल, पुष्प आदि के साथ भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
कुछ लोग इस व्रत में निराहार रहते हैं, जबकि कुछ अन्य व्रती एक महिला या एक वृद्ध व्यक्ति को भोजन या दान करते हैं।
व्रत के अंत में, व्रती को भगवान शिव का व्रत कथा और चालीसा पढ़ना चाहिए। इसके बाद व्रती को प्रसाद के रूप में फल या पूरी-सब्जी दी जाती है।
इस प्रकार, सोमवार का व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है और व्रती को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
शिवजी का अभिषेक कैसे करें
शिवाजी की भक्ति के रूप में उनका अभिषेक किया जाता है। शिवजी का अभिषेक करने से माना जाता है कि वह जल्द ही अपने भक्त पर प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
शिवाजी का अभिषेक करते समय सबसे पहले शिवलिंग को स्नान कराया जाता है। स्नान करवाते समय शिव भगवान् की कोई भी स्तुती या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप किया जा सकता है। स्नान करवाने के बाद शिवजी पर दूध चढ़ाया जाता है, दूध के बाद दही से शिवलिंग का स्नान किया जाता है। इसके बाद शिवलिंग पर घी और अंत में शहद से स्नान करवाया जाता है। ध्यान रहे इन सभी चीजों को शिवलिंग पर लगाते समय आपके भाव शुद्ध हों और मन में पंचाक्षर मंत्र का जाप चलता रहे।
इसके पश्चात शिवलिंग को फिर से साफ जल या गंगाजल से स्नान कराया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद शिवलिंग की पूजा की जाती है जिसमें की शिवलिंग पर अक्षत, बेलपत्र, धूम, दीप, फल, फूल आदि अर्पण किए जाते हैं। अंत में शिव जी के सामने हम अपनी मनोकामना रख कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
यहां कुछ प्रमुख चीजों की सूची है जो शिवजी के अभिषेक में उपयोग की जाती हैं:
- गंगाजल: शिवलिंग पर गंगाजल का अभिषेक किया जाता है, जो शुद्धता और पवित्रता को संकेतित करता है।
- धातू का तिलक: धातू के तिलक का अर्पण शिवलिंग को समर्पित किया जाता है, जो उनके आदर्शों को प्रतिनिधित करता है।
- बिल्व पत्र: बिल्व पत्र का अभिषेक किया जाता है, जो शिव को प्रिय होता है और उनकी पूजा में महत्वपूर्ण होता है।
- धूप: धूप का अर्पण किया जाता है, जो पवित्रता का चिह्न होता है और आस्था को बढ़ाता है।
- दीप: दीप का जलाया जाता है, जो उजाला और शांति का प्रतीक होता है।
- पुष्प: शिवलिंग पर फूलों का अर्पण किया जाता है, जो भक्ति और प्रेम का प्रतीक होता है।
शिवजी के अभिषेक की विशेषता यह है कि इसमें विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है और इसे भक्ति और श्रद्धा के साथ किया जाता है। यह अभिषेक शिवजी के आदर्शों को उजागर करता है और भक्तों को उनके साथ निकटता महसूस कराता है।
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